ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में आगे बढ़ रहा राजस्थान : क्षेत्रीय अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में किया गया विस्तार, एमएसएमई उद्योगों को दी गई विशेष राहत

राजस्थान प्रीमियर लीग का शुभारंभ करते राज्यपाल कलराज मिश्र व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत।

NCRKhabar@Jaipur. राज्य में उपलब्ध संसाधन एवं ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के सकारात्मक वातावरण के कारण निवेशक निरंतर आकर्षित हो रहे हैं। इसी क्रम में राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा भी उद्योगों के सुगम संचालन के लिए क्षेत्रीय अधिकारियों के क्षेत्राधिकारों में विस्तार किया जा रहा है। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अध्यक्ष शिखर अग्रवाल ने बताया कि मंडल द्वारा आम जन एवं हितधारकों के हितों को सुनिश्चित करते हुए वृहद स्तर पर कार्य किए जा रहे हैं, जिनसे राज्य में उद्योगों की स्थापना एवं उनका संचालन आसान हो। उन्होंने बताया कि क्षेत्रीय अधिकारियों को उनके अधिकार क्षेत्र में संचालित एमएसएमई इकाइयों के लिए जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम) 1974  एवं वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम) 1981 के अंतर्गत मंडल की अनुमति लेने के संबंध में विभिन्न शक्तियां सौंपी गई हैं। इससे अब उद्यमियों को मुख्यालय से इनकी अनुमति नहीं लेनी होगी और उद्योगों को स्थापित करने की राह भी आसान होगी। साथ ही, रोजगार के अधिक अवसरों का सृजन भी होगा।

मंडल द्वारा जारी आदेशानुसार क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में स्थित उद्योगों के लिए राज्य बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारों में एमएसएमई उद्योगों को प्रोत्साहन एवं निवेशकों को आकर्षित करने के लिए विस्तार किया गया है। इसमें वे सभी उद्योग /परियोजनाएं/प्रक्रियाए/गतिविधियां जो की हरित श्रेणी के अंतर्गत आती है, साथ ही 20,000 वर्ग से अधिक की भवन एवं निर्माण परियोजनाएँ, टाउनशिप और क्षेत्र विकास परियोजना 5 हेक्टेयर और अधिक / आवास इकाइयां, फल और सब्जी प्रसंस्करण, खाद्य योजक (बड़े पैमाने पर) सहित खाद्य और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ को छोड़कर ऑरेंज श्रेणी के अंतर्गत आने वाले सभी उद्योग एवं लाल रंग की क्षेणी में चयनित इकाइयों में 25 हैक्टर तक की माइनिंग लीज, माइनिंग लीज क्षेत्र में क्रेशर्स के साथ अन्य शामिल है। इनसे सम्बंधित आदेश जारी कर विस्तृत गाइडलाइन्स जारी कर दी गयी है।
गौरतलब है कि पूर्व में 10 करोड़ रूपये से अधिक की फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स, प्रिंटिंग इंक, फर्टिलाइजर्स, फार्मूलेशन ऑफ पेस्टिसाइड्स, फार्मास्युटिकल्स और स्क्रैपिंग सेंटर्स स्थापित एवं संचालित करने के लिए मुख्यालय से सम्मति प्राधिकरण लेना होता था।  अब यह सम्मति प्राधिकरण का अधिकार क्षेत्रीय अधिकारियों को दे दिया गया है। इस महत्वपूर्ण कदम के बाद राज्य में क्षेत्रीय स्तर पर निवेश में वृद्धि के साथ सस्टेनेबल औद्योगिकीकरण को बढ़ावा मिल सकेगा।
पर्यावरण निगरानी एवं निरीक्षण के नियमों में भी किया गया बदलाव
मंडल के सदस्य सचिव विजय एन द्वारा जारी एक आदेशानुसार लघु उद्योग एवं कम प्रदूषण उत्सर्जन वाली इकाइयों के लिए निगरानी एवं निरीक्षण के नियमों में वृहद स्तर पर बदलाव किया गया है। इसके अंतर्गत टेक्सटाइल सेक्टर, हेल्थ केयर फैसिलिटीज, सीमेंट प्लांट्स, पावर प्लांट्स, माइंस सीईटीपी एवं एसटीपी सहित अन्य औद्योगिक क्षेत्रों के प्रदूषण उत्सर्जन के आधार पर निरीक्षण नियम तय किये गए हैं। अब सीईटीपी एवं एसटीपी का निरीक्षण मासिक किया जायेगा जो की पूर्व में त्रैमासिक था। वही अत्यधिक प्रदूषणकारी 17 श्रेणी उद्योग का निरीक्षण त्रैमासिक होगा। साथ ही, लाल श्रेणी (17 श्रेणियों के अलावा) (बड़े पैमाने पर) अर्धवार्षिक, लाल श्रेणी (17 श्रेणियों के अलावा) (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) वार्षिक, उद्योग की नारंगी श्रेणी (बड़े पैमाने पर) वार्षिक, नारंगी श्रेणी (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) दो वर्ष में एक बार एवं हरित श्रेणी उद्योगों का आवश्यकता के अनुसार निगरानी एवं निरीक्षण किया जायेगा। यह निरीक्षण एवं नमूनाकरण/निगरानी आमतौर पर राज्य बोर्ड के तकनीकी एवं वैज्ञानिक अधिकारियों की संयुक्त टीम द्वारा किया जायेगा।

 प्रदूषण निगरानी के लिए प्रयोगशालाओं  का भी किया गया विस्तार

राज्य में मंडल द्वारा 13 क्षेत्रीय प्रयोगशाला एवं 1 केंद्रीय प्रयोगशाला के माध्यम से वायु, ध्वनि, पानी, मृदा, खतरनाक अपशिष्ट के प्रदूषण तत्वों एवं स्तर पर निगरानी रखी जा रही थी। सदस्य सचिव विजय एन द्वारा जारी एक अन्य आदेश के अनुसार अब राज्य में 13 क्षेत्रीय प्रयोगशाला एवं 1 केंद्रीय प्रयोगशाला के साथ  MOEF&CC  द्वारा अधिसूचित और  NABL द्वारा मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाएँ, राजस्थान राज्य सरकार /पीएसयू /बोर्ड/ निगम की प्रयोगशालाएं, राजस्थान में केंद्र सरकार/ पीएसयू /बोर्ड/निगम की प्रयोगशालाएं और राजस्थान में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों की प्रयोगशालाओं की भी विश्लेषण रिपोर्ट स्वीकार की जाएगी। इससे राज्य में प्रदूषण निगरानी  में पारदर्शिता के साथ वृहद स्तर पर कार्य हो सकेगा। साथ ही, हितधारकों और आम जनता को प्रदूषण मापन एवं विश्लेषण के लिए सरकारी दरों पर अन्य विकल्प भी उपलब्ध हो सकेंगे।

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