छठ व्रतियों ने घाटों पर लगाई आस्था की डुबकी, अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर की सुख समृद्धि की कामना

 

श्रीराम पिस्टन्स एन्ड रिंग्स लिमिटेड के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुमंत्र मुखर्जी का स्वागत करते छठ पूजा आयोजन समिति के अध्यक्ष मनोज गुप्ता व अन्य पदाधिकारी।

 

NCRkhabar@Bhiwadi. औद्योगिक नगरी भिवाड़ी व आसपास के इलाकों में छठ महापर्व धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान दौरान घाटों पर उत्सवी माहौल नजर आया। भिवाड़ी, चौपानकी, टपूकड़ा, खुशखेड़ा, शाहजहांपुर व नीमराना सहित अन्य औद्योगिक इलाकों में घाटों पर छठ के गीत सुबह से ही सुनाई दे रहे थे जबकि पूर्वांचल के लोगों ने घरों को आकर्षक रोशन से सजाया था। गुरुवार को बाज़ारों में छठ पूजा सामग्री खरीदने के लिए लोगों की भारी उमड़ पड़ी और गुरुवार सायं व्रतियों ने भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य देकर परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। इस दौरान घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा तथा घाटों पर छठी मईया के जयकारों की गूंज सुनाई दी। तिजारा  विधायक बाबा बालकनाथ, पार्षद अमित नाहटा, श्रीराम पिस्टन्स एन्ड रिंग्स लिमिटेड के श्रीराम पिस्टन्स एन्ड रिंग्स लिमिटेड के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुमंत्र मुखर्जी, प्रबंधक राजेश चौधरी, सहित अन्य गणमान्य लोगों ने यूआईटी सेक्टर पांच सहित पार्कों में बनाए घाटों पर जाकर लोगों को छठ की शुभकामनाएं दी। शुक्रवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय महापर्व छठ का समापन होगा। इसके बाद व्रत करने वाले पारण कर ठेकुआ का प्रसाद बांटेंगी। भिवाड़ी के यूआईटी सेक्टर पांच में छठ पूजा समिति के अध्यक्ष मनोज कुमार गुप्ता, महासचिव धर्मेंद्र सिंह, संरक्षक अशोक तिवारी व सहसचिव संतोष सिंह, चन्द्रमा सिंह, चंदन सिंह, अजय सिंह आदि ने घाट पर आने वाले लोगों का स्वागत किया। इधर गांधी कुटीर सेक्टर चार के पार्क में बनाए गए घाट पर छठ पूजा समिति अध्यक्ष राहुल सिंह राजपूत व उनकी टीम के लोगों ने श्रद्धालुओं का स्वागत किया।

दोपहर 3 बजे के बाद से घाटों पर आने लगे लोग
 खरना के बाद से व्रतियों ने 36 घण्टे का निर्जला उपवास शुरु कर दिया था और रातभर छठी मईया की उपासना किया। इस दौरान घर-घर व घाट-घाट पर छठी मईया के गीत बज रहे थे। ऐसे में सुबह कब हो गई, पता ही नहीं चला और दिन शुरु होने के साथ व्रतियों का डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य देने के लिए उत्साह चरम पर पहुंच गया था और दोपहर तीन बजे के बाद से श्रद्धालुओं का घाटों पर आना शुरू हो गया था। व्रतियों के साथ परिवार के लोग भी घाटों पर पहुंचने लगे तथा यह सिलसिला अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने तक चलता रहा। इस दौरान घाटों पर पैर रखने की जगह नहीं बची और चारों तरफ उत्सवी माहौल छा गया।
घाटों पर जमकर हई आतिशबाजी, छठ के गीतों से बही भक्ति रस की धारा
भिवाड़ी के पार्कों में बनाए गए घाटों पर गीत-संगीत के साथ जमकर आतिशबाजी की गई। घाटों पर आते-जाते समय व अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य देने के दौरान छठी मईया के गीत बजते रहे। गीत-संगीत की मोहक धुन पर पुरबिया समाज के लोग आनंदित हो रहे थे। इससे लगने लगा कि औद्योगिक नगरी पूर्वांचल की संस्कृति में रंगी हुई है तथा लोगों को प्रदेश में भी अपनापन दिखाई दिया।
क्यों दिया जाता है डूबते सूर्य को अर्घ्य?
सूर्य की उपासना सभ्यता के अनेक क्रमों में देखी जा सकती है। महापर्व छठ हिंदू धर्म में एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें न केवल उदयाचल सूर्य की पूजा की जाती है बल्कि अस्ताचलगामी सूर्य को भी पूजा जाता है। मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की आराधना की जाती है।
पौराणिक काल से ही सूर्य को आरोग्य के देवता माना गया है वैज्ञानिक दृष्टि से भी सूर्य की किरणों में कई रोगों को समाप्त करने की क्षमता पाई गई है। सूर्य की वंदना का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है तथा अन्य सभी वेदों के साथ ही उपनिषद आदि वैदिक ग्रंथों में इसकी महत्ता व्यक्त की गई है।

 

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