मॉडर्न पब्लिक स्कूल में ” भिवाड़ी में प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण” विषयक कार्यशाला का आयोजन, गिरते भूजल स्तर को रोकने सहित अन्य मुद्दों पर हुई चर्चा

कस्बे के मॉडर्न पब्लिक स्कूल में आयोजित “भिवाड़ी में प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण” कार्यशाला का दीप प्रज्वलित कर उदघाटन करते प्रिंसिपल पी के साजू व अन्य अतिथि।

Environment@ncrkhabar.com बढ़ती जनसंख्या, औद्योगिकरण और शहरीकरण के कारण भिवाड़ी में जलवायु और भूमि प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में स्थिति गंभीर हो सकती है। नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशंस द्वारा प्रायोजित और ग्लोबल हाइड्रोलॉजिकल सॉल्यूशंस फरीदाबाद की ओर से बुधवार को मॉडर्न पब्लिक स्कूल (MPS) में ” भिवाड़ी में प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण”  विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यशाला में केंद्रीय भूजल बोर्ड के पूर्व वैज्ञानिक डॉ सुधांशु शेखर, प्रोफेसर अरुनांगशु, एच. एस. सैनी सहित अन्य विशेषज्ञों ने जलवायु एवं भूमि के संरक्षण के महत्वपूर्ण उपाय पर चर्चा की और छात्रों व अभिभावकों ने प्रश्नों का उत्तर दिया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और विकास के लिए आवश्यक कदम उठाना था। कार्यक्रम का समापन एक सामूहिक संकल्प के साथ हुआ कि सभी को पर्यावरण संरक्षण में भरपूर योगदान देना चाहिए।

कस्बे के मॉडर्न पब्लिक स्कूल में आयोजित “भिवाड़ी में प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण” कार्यशाला में प्रस्तुति देते बच्चे।

तिजारा में हो रहा क्षमता से अधिक भूजल का दोहन

ग्लोबल हाईड्रोलाजिकल के  विशेषज्ञों ने बताया कि तिजारा ब्लॉक में कृषि, उद्योग व घरेलू पानी की आपूर्ति भूजल पर निर्भर है। यहां पर 168 प्रतिशत भूजल का दोहन किया जा रहा है, जिससे भूजल का स्तर गिरता जा रहा है। इसलिए हरियाणा की तरह कम पानी से होनी वाली फसलों की बुआई करनी चाहिए। इसके अलावा उद्योगों में ट्रीटेड पानी का उपयोग कर भूजल का दोहन रोकना चाहिए। भारत की जीडीपी में भूजल का योगदान नौ प्रतिशत है जबकि 60 प्रतिशत सिंचाई के लिए व ग्रामीण इलाकों में 85 प्रतिशत पेयजल के लिए भूजल का उपयोग होता है जबकि शहरी क्षेत्र में 50 प्रतिशत पेयजल के लिए भूजल का दोहन किया जाता है। 2031 तक ग्रेटर भिवाड़ी को 581 एमएलडी पानी की आवश्यकता होगी।
 कार्यशाला में एमपीएस की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर तापती चटर्जी, प्रिंसिपल पी. के. साजू, हेड मिस्ट्रेस आशा बोस व जसवंत कौर सिक्का, गोपीनाथ हॉस्पिटल के एमडी डॉ नीरज अग्रवाल, पार्षद अमित नाहटा व हवा सिंह, नाहटा फाउंडेशन की चेयरमैन रितिभा नाहटा सहित अन्य गणमान्य लोगों ने हिस्सा लेकर अपने सुझाव दिये। पार्षद अमित नाहटा ने कहा कि एक पेड़ मां के नाम लगाकर उसका संरक्षण करें तथा भूजल बचाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए।
कार्यशाला को संबोधित करतीं एमपीएस की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर तापती चटर्जी।
कार्यशाला को संबोधित करते प्रिंसिपल पी के साजू।

 

एमपीएस में आयोजित कार्यशाला में उपस्थित गोपीनाथ हॉस्पिटल के एमडी डॉ नीरज अग्रवाल, पार्षद अमित नाहटा व विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि, अभिभावक व विद्यार्थी।

 

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