Journey Of Gallantt Group: गैलेंट समूह के चेयरमैन को 39 साल पहले रिश्तेदारों से लेनी पड़ी थी मदद, आज 4 हजार करोड़ से अधिक सालाना टर्नओवर

Business Desk NCRkhabar@Gorkhpur. गोरखपुर ( Gorakhpur) स्थित गैलेंट ग्रुप (Gallantt Group) आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है और गैलेंट सरिया व सीमेंट पूर्वी उत्तर प्रदेश व बिहार में सबसे सफल ब्रांड माना जाता है। गैलेंट समूह के चेयरमैन चंद्र प्रकाश यानी सीपी अग्रवाल ( C. P. Aggarwal) ने फर्श से अर्श तक का सफर तय करने में कई मुश्किलों का सामना किया है। गोरखपुर में कभी एक एक गल्ला कारोबारी के रूप में व्यावसायिक जीवन की शुरुआत करने वाले सीपी अग्रवाल आज स्टील सेक्टर में धाक जमा चुके हैं। तकरीबन चालीस साल पहले उन्होंने एक तेल मिल के साथ उद्योग जगत में कदम रखा था  और आज उनके समूह का सालाना टर्नओवर चार हजार करोड़ रुपये से अधिक है।

बरगदवा में लगाई थी तेल व फ्लोर मिल

गैलेंट समूह के चेयरमैन सीपी अग्रवाल के पिता गोविन्द अग्रवाल गल्ले का व्यापार करते थे। बिहार के मुजफ्फरपुर ( Muzaffarpur) के साथ ही गोरखपुर में भी इनका व्यापार था। शुरूआत में उनका परिवार साहबगंज फिर बेतियाहाता में रहने लगा। सीपी अग्रवाल शुरू से ही उद्यम पर भरोसा करते थे। 1984 के आसपास उन्होंने बरगदवा क्षेत्र में एक छोटी सी तेल मिल की स्थापना की थी। उसके कुछ समय बाद ही उन्होंने एक फ्लोर मिल की स्थापना की। उनको नजदीक से जानने वाले बताते हैं कि उस समय उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। बैंक के साथ रिश्तेदारों से भी आर्थिक मदद लेनी पड़ी थी। फ्लोर मिल चल निकली तो आर्थिक स्थिति भी मजबूत हुई। कुछ समय बाद गोविंद स्टील नाम से रोलिंग मिल स्थापित की और टाइगर ब्रांड सरिया बनाने लगे।

मुलायम सिंह यादव से ने रखी थी गैलेंट इस्पात लिमिटेड की आधारशिला

सीपी अग्रवाल ने सन 2000 के बाद गुजरात के कच्छ क्षेत्र में गैलेंट मेटल लिमिटेड के नाम से एक फैक्ट्री बनाई। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 100 करोड़ से अधिक के निवेश पर विशेष छूट का प्रविधान आया तो गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण ( GIDA) में गैलेंट समूह की स्थापना की प्रक्रिया शुरू कर दी। सीपी अग्रवाल ने पूर्व सपा नेता दिवंगत अमर सिंह के साथ नजदीकी के चलते सन 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के हाथों गीडा में अपनी गैलेंट इस्पात लिमिटेड की आधारशिला रखवाई। दो साल के भीतर उन्होंने गीडा स्थित फैक्ट्री में उत्पादन शुरू भी कर दिया। धीरे-धीरे इस प्लांट का विस्तार होने लगा। राजनीति के साथ ही उनकी ब्यूरोक्रेसी में भी अच्छी पकड़ रही।

 इस तरह किया औद्योगिक साम्राज्य का विस्तार

एक साल पहले सीपी अग्रवाल ने अपने प्लांट का विस्तार किया है। पहले तीन लाख 30 हजार टन प्रतिवर्ष सरिया का उत्पादन होता था, अब पांच लाख 28 हजार टन सरिया का उत्पादन हर वर्ष हो रहा है। इसी परिसर में एक सीमेंट फैक्ट्री की भी स्थापना की गई है। एक साल से फ़िल्म स्टार अजय देवगन गैलेंट कंपनी की सरिया का प्रचार करते हैं। स्टील सेक्टर में धाक जमी लेकिन कंपनी पर अंडर बिलिंग के आरोप भी लगते रहे। इस समय उनकी कंपनी रियल एस्टेट के कारोबार में भी हाथ आजमा रही है। गैलेंट लाइफ स्पेसेज को जीडीए की खोराबार टाउनशिप एवं मेडिसिटी में ढांचागत विकास की जिम्मेदारी मिली है।

गैलेंट ग्रुप ने खरीदे दो मालगाड़ी के वैगन, कच्चे माल की होगी ढुलाई, किराए में मिलेगी दस फीसदी छूट

इस्पात कंपनी गैलेंट ने सहजनवां के पास गीडा स्थित अपनी फैक्ट्री तक कच्चे माल की ढुलाई के लिए दो मालगाड़ी की रैक (वैगन का समूह) खरीदी है। इनका संचालन रेलवे करेगी। इससे कंपनी के माल ढुलाई के साथ-साथ मालभाड़े में भी 10 प्रतिशत की छूट मिलेगी। एक मालगाड़ी गैलेंट इस्पात को मिल गई है, जबकि दूसरी तीन महीने बाद मिलेगी। गैलेंट ग्रुप निजी मालगाड़ी का रैक खरीदने वाली उत्तर प्रदेश की पहली इकाई है। गैलेंट ग्रुप के पीआरओ एवं मीडिया प्रभारी दीपक शर्मा ने बताया कि वैगन को कंपनी ने 55 करोड़ रुपये में खरीदा है। कंपनी को फैक्ट्री तक कच्चे माल की ढुलाई में दिक्कत हो रही थी। कई बार वैगन खाली नहीं होने के चलते माल देर से पहुंचता था, जिसका असर उत्पादन पर पड़ रहा था। रेलवे में प्रावधान है कि 15 प्रतिशत अधिक भाड़ा देने पर गुड्स ट्रेन प्राथमिकता पर दी जाती है, इसके बावजूद मालगाड़ी नहीं मिल पाती है। इस बीच रेलवे ने यह स्कीम दी कि यदि फैक्टरी प्रबंधन अपनी मालगाड़ी खरीद कर रेलवे को दें तो उससे कंपनी के माल की ही ढुलाई होगी और किराए में भी 10 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।

 

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