NCRkhabar@Bhiwadi.. राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) ने राजस्थान में जल संरक्षण के लिए शुरू की गई सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर निगरानी रखने के लिए सभी संभाग मुख्यालयों पर समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं। राज्य के हर डिवीजन में गठित की जाने वाली यह समिति राजस्व आयुक्त की अध्यक्षता में काम करेगी। इससे यह पता चल सकेगा कि सरकारी योजनाओं का प्रभावी रूप से क्रियान्वयन किया जा रहा है या नही। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की भोपाल स्थित सेंट्रल बेंच के न्यायिक सदस्य जस्टिस शिव कुमार सिंह व विशेषज्ञ सदस्य डॉ ए. सेंथिल वेल की पीठ ने गत 25 सितंबर को एक याचिका का निस्तारण करते हुए यह आदेश दिया। इसके मुताबिक डिवीजन स्तर पर गठित की जाने वाली समितियां तालाब, टैंक और झील भूमि पर होते किसी भी अतिक्रमण को रोकने के लिए जिम्मेदार होगी। यदि वहां किसी प्रकार का अतिक्रमण होता है, तो उन्हें तुरंत हटाया जाना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है जल स्रोतों में दूषित पानी या ठोस कचरा न डाला जाए। वहीं यदि इन जल स्रोतों पर अतिक्रमण या उनमें ठोस या तरल अपशिष्ट छोड़े जाने के मामले सामने आते हैं, तो उसकी बहाली के साथ-साथ पर्यावरणीय मुआवजे की वसूली के लिए आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए। राजस्थान (Rajasthan) में चारागाह व प्राकृतिक जल स्रोतों पर बड़े पैमाने पर हुए अतिक्रमण से चिंतित एनजीटी ने कहा है कि अतिक्रमण हटाने के साथ ही अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
गौरतलब है कि एनजीटी ने उदयपुर (Udaipur) जिला निवासी महादेव सिंह की ओर से दायर याचिका का निस्तारण करते हुए यह आदेश दिया है। याचिकाकर्ता ने अपने आवेदन में चारागाह भूमि पर होते अवैध अतिक्रमण और निर्माण के साथ-साथ बागेला तालाब में मलबा डंप करने पर प्रकाश डाला था। उनके मुताबिक ट्रक के जरिए तालाब में मलबा डाला जा रहा था और कुछ होटल मालिकों ने तालाब के एक हिस्से को भरकर उसपर ईमारत बना ली है, इतना ही नहीं उनके द्वारा तालाब में कचरा भी डाला जा रहा है।
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